भारत, इंडिया, हिन्दुस्तान – इन नामों से मुख्य रूप से जाना जाने वाला हमारा देश भारत, जिसकी विश्व में आधिकारिक पहचान अब India नाम से है, आज अपना 72वाँ स्वाधीनता दिवस मना रहा है। तो आइये जानते हैं इस दिवस से जुड़ी कुछ बातें।
- लोग स्वतंत्रता दिवस की बधाइयों के बीच एक गलती करते पाए जा रहे हैं: “आज़ादी के बहत्तर साल” – नहीं, बहत्तर नहीं इकहत्तर साल हुए हैं और एक वो दिन – वो 15 अगस्त, 1947 का दिन जब भारत अंग्रेजों की दासता से आज़ाद हुआ था, उसे खुद ही पहला स्वाधीनता दिवस गिना जाता है और उसके बाद उसकी कुल 71 सालगिरह आई हैं इस प्रकार, साल 71 हुए हैं लेकिन यह 72वाँ स्वाधीनता दिवस है
- भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है जिसमें राजा और प्रजा की व्यवस्था नहीं होती, अपितु सेवक और जनता की व्यवस्था है। हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी हैं जिसका प्रधानमन्त्री स्वयं को जनता का प्रधान सेवक कहता है
- अंग्रेजों की करीब 100 वर्षों की दासता झेलने के बाद, अंग्रेजों की ही सेना में रोज़गार के लिए भर्ती भारतीय सैनिकों में से एक “मंगल पांडे” जो बैरकपुर छावनी में थे, उनको 1857 में विद्रोह करने के कारण जाना जाता है जिससे स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत हुयी, और उस स्वाधीनता संग्राम का परिणाम आने में 90 साल लग गए
- भारत के स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस को कुछ लोग एक ही समझ लेते हैं लेकिन यह बिलकुल अलग है, 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों ने भारत छोड़ा था; 26 नवम्बर, 1949 को हमारे संविधान को अंगीकृत किया गया था तथा 26 जनवरी, 1950 को भारत गणतंत्र घोषित हुआ था
- स्वाधीनता संग्राम के 90 वर्षों में, और उससे पहले भी भारत के असंख्य योद्धाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी और वे लड़ते हुए मर गए ताकि आज हम ये आज़ादी का जश्न मना सकें। आज का दिन उन्हीं योद्धाओं को समर्पित होना चाहिए
- भारत आज़ादी के साथ ही विभाजित भी हुआ था और वर्तमान रूप में, पाकिस्तान, बांग्लादेश के अलग होने के बाद, सीमा विवाद, चीन की घुसपैठ इत्यादि को ध्यान में रखते हुए, वैश्विक मान्य आंकड़ों के अनुसार भारत का वर्तमान कुल क्षेत्रफल करीब 32 लाख, 87 हज़ार वर्ग किलोमीटर है और क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा देश है
- कुछ लोगों के अनुसार “क्या हम सचमुच आज़ाद हैं” जैसे एजेंडे ऐसे दिनों पर उठाना फैशन हो गया है और कुछ वैसे भी हैं जिनके लिए आज के दिन का अर्थ सिर्फ जलेबी खाना, छुट्टी मनाना और सो जाना है। लेकिन बात दोनों के बीच की है। आज का दिन गर्व का दिन है; हाँ भारत में आतंरिक रूप से भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और जाने कितनी ही आतंरिक समस्याएं हैं और उनपर वर्ष भर चर्चा होनी चाहिए, न कि आज। आज के दिन नई पीढ़ी को बताना चाहिए कि पूर्वजों ने उनके लिए क्या किया है और उनको गौरवान्वित महसूस कराना चाहिए
- भारत का राष्ट्रीय ध्वज, बहुत सारे रूपों से होकर इस रूप तक पहुँचा है और यह भारत की एकता, अक्षुण्णता का प्रतीक है। राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान के प्रति हमारे मन में स्वाभाविक सम्मान होना चाहिए जिसमें किसी भी जोर जबरदस्ती का भाव नहीं होना चाहिए
- भारत में एक राजभाषा अधिनियम भी है। इस नियम को सही रूप से लागू किया गया होता और सब कुछ ठीक चल रहा होता तो आज भारत में हर आधिकारिक काम के लिए लिखित दस्तावेज/कागजात हिंदी भाषा में ही होते लेकिन इसमें जागरूकता का अभाव रह जाने से आज भी एक बड़ा प्रतिशत वर्ग अंग्रेजी के प्रयोग में ही शान समझता है। आपको ज्ञात हो, कि केंद्र सरकार समय-समय पर हिंदी से सम्बंधित कार्यक्रम करवाती है और पुरस्कार भी देती है। अंग्रेजी आज भी दासता का अनुभव कराती है। इससे निकलने के प्रयास जारी रहने चाहिए
- इस लेख का कवर चित्र भारत के संसद भवन का है, जो भारत की एक महत्त्वपूर्ण धरोहर है, और जहाँ बैठकर जनता के चुने हुए सेवक/प्रतिनिधि जनता के लिए फैसले लेते हैं। यह चित्र गूगल इमेजेस से सधन्यवाद लिया गया है
तो इस स्वाधीनता दिवस पर भारत के बारे में इन तथ्यों की जानकारी के साथ ही, आइये हम संकल्प लें कि हम भी यथासंभव हिंदी के प्रयोग पर जोर देंगे।
“देश हमें देता है सब कुछ,
हम भी तो कुछ देना सीखें”